कुछ तो दिल में पिघला होगा कुछ तो अंदर फूटा है !
‘बस ऐसे ही भर गयी आँखे’ कहने वाला झूठा है !!
लम्बी लम्बी परछाईं जब रफ़्ता रफ़्ता खो जाए,
कहती है तब साँझ सुहानी साथ किसी का छूटा है!
बिखरे हैं जज़्बात के मोती प्य…
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‘बस ऐसे ही भर गयी आँखे’ कहने वाला झूठा है !
रस्म ए उलफ़त की बात करते हैं
रस्म ए उलफ़त की बात करते हैं
हम मुहब्बत की बात करते हैं
वहशते ग़म के साथ रहके भी
हम मसर्रत की बात करते हैं
जो इशारे हैं उनकी आँखों के
सब शरारत की बात करते हैं
ज़िक्र होता है वस्ल का जब भी
वो क़यामत की ब…
दुनिया ने कहा इश्क़ में रुसवाई बहुत है
दुनिया ने कहा इश्क़ में रुसवाई1 बहुत है
मुझको भी लगा बात में सच्चाई बहुत है
आई है मुझे कहने को वो ईद मुबारक
शायद वो इसी बात से घबराई बहुत है
देखेगी मगर ज़ख़्म को मरहम नहीं देगी
ये भीड़ ज़माने की …
बेवफ़ा सुन ले तुझे प्यार किया है मैंने
साहब ए इश्क़1 को अफ़गार2 किया है मैंने
बेवफ़ा सुन ले तुझे प्यार किया है मैंने
कोई सौदागर ए ग़म3 हो तो इसे ले जाये
दर्द ओ ग़म को सरे बाज़ार किया है मैंने
दिल की दहलीज़4 पे रख के तेरी यादों के चिराग…
उम्र गुज़रेगी कैसे तेरे बग़ैर
दे दिया दिल किसी को जाने बग़ैर
जी न पाऊँ अब उसको देखे बग़ैर
वो ही धड़कन वही है सांसें अब
ज़िंदगी कुछ नहीं है उसके बग़ैर
एक पल काटना भी मुश्किल है
उम्र गुज़रेगी कैसे तेरे बग़ैर
सोचता …
ज़िंदगी का रंग फीका था मगर इतना न था
ज़िंदगी का रंग फीका था मगर इतना न था
इश्क़ में पहले भी उलझा था मगर इतना न था
क्या पता था लौटकर वापस नहीं आएगा वो
इससे पहले भी तो रूठा था मगर इतना न था
दिन में दिन को रात कहने का सलीका देखिये
…लम्हा लम्हा सदी पे भारी है
कश्मकश ज़िन्दगी में ज़ारी है
लम्हा लम्हा सदी पे भारी है
क्यूँ खुली रहती हैं मिरी पलकें
अब इन्हें किसकी इंतज़ारी है
इक नशा सा दिलो दिमाग़ पे है
बिन पिये कैसी ये ख़ुमारी है
धड़कनें दिल की ठहरी ठहरी हैं…
ज़िंदा तो आज भी हूँ मगर ज़िंदगी कहाँ
ले आई मुझको देख मेरी आशिक़ी कहाँ
ज़िंदा तो आज भी हूँ मगर ज़िंदगी कहाँ
हरसू है बेवफ़ाई दगा झूठ का धुंवा
दिल की खुली भी खिड़की तो जाके खुली कहाँ
कहने को आस पास तो खुशियाँ हैं बेशुमार
मिलती थी तेरे साथ मे जो वो खुशी कहाँ…
मुझको तुम्हारी याद ने सोने नहीं दिया
मुझको तुम्हारी याद ने सोने नहीं दिया
तन्हाइयों की भीड़ में खोने नहीं दिया
चाहा तो बार बार के हो जाऊँ बेवफ़ा
लेकिन तुम्हारे प्यार ने होने नहीं दिया
अब तो धुंवाँ धुंवाँ सी हुई मेरी ज़िंदगी…
आ जाओ फिर से लौट के इक शाम के लिए
दिल के सुकून चैन ओ आराम के लिए
आ जाओ फिर से लौट के इक शाम के लिए
अब तो तिरे ख़याल में रहता हूँ रात दिन
मिलता कहाँ है वक़्त किसी काम के लिए
इस मैकशी नज़र से मिलाकर नज़र कहूँ
दिल जान जिगर ले लो बस इक जाम के लिए…
मेरी आँखों को शिकायत है ज़माने भर से
एक अरसा हुआ दीदार को तेरे तरसे
मेरी आँखों को शिकायत है ज़माने भर से
दर्दे दिल टपका है पलकों से पिघल कर ऐसे
जैसे सावन में कहीं झूम के बादल बरसे
तुम अगर रूबरू मिल करके जुदा होते तो
बोझ हट जाता बिछड़ने…
इतनी बेचैन सी घबराई सी धड़कन क्यूँ है
दिल में ठहरा हुआ तूफ़ान ये उलझन क्यूँ है
इतनी बेचैन सी घबराई सी धड़कन क्यूँ है
मुझको हो जाना था संजीदा बहुत पहले मगर
दिल में अब तक मिरे मासूम सा बचपन क्यूँ है
मेरे ख्वाबों में ख़यालों में बसा है तू ही…
जुल्फें वो खोलकर जो चलें हैं अदा के साथ
जुल्फें वो खोलकर जो चलें हैं अदा के साथ
आया हो जैसे झूम के सावन घटा के साथ
हलचल हुई है दिल के समंदर के दरमियाँ
फेंका जो उसने प्यार का कंकड़ अदा के साथ
सहरा लबों पे मेरे समंदर है आँख में
यादो…
ज़िंदगी तो बस खुदा की दी हुई सौग़ात है
कब मेहरबानी किसी की कब कोई ख़ैरात है
ज़िंदगी तो बस खुदा की दी हुई सौग़ात है
यूं बदल देना ये किस्मत और क़ुदरत का लिखा
ना तुम्हारे बस में है ये ना हमारे हाथ है
ज़िंदगी के इस सफ़र में मैं अकेला ही नहीं…
छुपती है कहाँ प्यार की झंकार किसी से
छुपती है कहाँ प्यार की झंकार किसी से
जुड़ते हैं अगर दिल के कहीं तार किसी से
करना न कभी प्यार में तकरार किसी से
उठती है कहाँ इश्क़ में तलवार किसी से
इक दिल था मेरे पास जो वो लेके गया है
अब तुम ही कहो कैसे करूँ …
प्यार जब होगा तो सीने में चुभन भी होगी
प्यार जब होगा तो सीने में चुभन भी होगी
दरमियां दिल के मुहब्बत की अगन भी होगी
जाके परदेश मिला होगा बहुत कुछ लेकिन
दिल के कोने में कहीं यादे वतन भी होगी
राह में उसके अगर धूप गरम झोकें हैं
तो कहीं छां…
कहा किसने कि राहे इश्क़ में धोका नहीं है
कहा किसने कि राहे इश्क़ में धोका नहीं है
यहाँ जो दिखता है वो दोस्तों होता नहीं है
जो कुछ पाया ज़माने की नज़र में था हमेशा
गंवाया जो उसे इस दुनिया ने देखा नहीं है
गुज़ारी है वफ़ादारों में सारी उम्र मैंने…
रूह को जिस्म से जुदा कर दे
रूह को जिस्म से जुदा कर दे
ख़त्म साँसों का सिलसिला कर दे
भूल जाऊँ मैं उसकी यादों को
ये ख़ुदा कोई हादसा कर दे
दिल का लगना कहीं भी मुश्किल है
मेरी तनहाई खुशनुमा कर दे
जिक्र उसका न छेड़ बादे सबा
अब तिरी याद में कटे दिन भी
रात डसती थी डस रहे दिन भी
अब तिरी याद में कटे दिन भी
क्या कहें उनकी इन अदाओं को
दूर बैठे हैं वस्ल के दिन भी
क्यूँ शिकायत करूँ मैं रातों से
अब सियाही में ढल गए दिन भी
हमने काटीं है खार सी रातें…
जा तुझे अब सदा नहीं दूंगा
प्यार का वास्ता नहीं दूंगा
अब तुझे मैं सदा नहीं दूंगा
मैने दुश्मन बना लिया तुझको
अब कभी मशवरा नहीं दूंगा
लाख मुझको बुरा कहे लेकिन
मैं उसे बददुआ नहीं दूंगा
जान दे दूंगा बात आई तो
यार तुझ को दग़ा नहीं द…
आपकी राय एवं सुझाव
I likes this gazal so much. Well written.
आपका बहुत बहुत शुक्रिया मनोज जी
bahut hi umda. lajawab. bahut dino baad time mila to padhakar dil khush ho gaya.
dil ki bat dil jale hi jane
Bahut khoob..
loved it.very touching..beautifully written..
Excellent poem
Mai apko sada duga.very nice.
क्या बात है आदरणीय सूर्या जी, बहुत खूब
क्या कहने हैं सर जी वाह वाह वाह
हर इक अशआर पे दाद क़ुबूल कीजिये जय हो
सादर प्रणाम ,सर जी|
बहुत ही खुबसुरत पंक्तियाँ ,हृदय तक पहुचती हुयीं |
awesome line sir heart touching ......
ख़ुद छोड़ के तो हमको अलग राह बना ली
औरों का भी क्यूँ साथ छुड़ाने पे तुले हो
वाह सर बहुत खूब
Great...
Bahut badhiya hai!!