मुझको तुम्हारी याद ने सोने नहीं दिया
तन्हाइयों की भीड़ में खोने नहीं दिया
चाहा तो बार बार के हो जाऊँ बेवफ़ा
लेकिन तुम्हारे प्यार ने होने नहीं दिया
अब तो धुंवाँ धुंवाँ सी हुई मेरी ज़िंदगी
जलने दिया न, राख़ भी होने नहीं दिया
लब पे सजा लिए हैं तवस्सुम की झालरें
एहसास ग़म का दुनिया को होने नहीं दिया
आँखों में अश्क आप की आ जाएँ ना कहीं
इस डर से अपने आप को रोने नहीं दिया
अपना सका मुझे न किसी और का हुआ
मुझको किसी भी और का होने नहीं दिया
'सूरज' जो हमने देखा मुहब्बत में एक ख्वाब
पूरा उसे ज़माने ने होने नहीं दिया
डॉ सूर्या बाली 'सूरज'