कहा किसने कि राहे इश्क़ में धोका नहीं है
यहाँ जो दिखता है वो दोस्तों होता नहीं है
जो कुछ पाया ज़माने की नज़र में था हमेशा
गंवाया जो उसे इस दुनिया ने देखा नहीं है
गुज़ारी है वफ़ादारों में सारी उम्र मैंने
दग़ा करना किसी से भी मुझे आता नहीं है
मुझे मालूम है इक दिन जुदा होना है सबको
मगर ऐसे भी कोई दूर तो जाता नहीं है
मुहब्बत के सफ़र में हमसफ़र जितने थे मेरे
कोई भी साथ थोड़ी दूर चल पाया नहीं है
अज़ब है कश्मकश दिल की ज़ुदा होके भी तुमसे
कहाँ जाऊँ किधर जाऊँ समझ आता नही है
तुम्हारे बाद भी आए बहुत से लोग लेकिन
मेरे दिल के करीब इतना कोई आया नहीं है
दग़ा मक्कारी धोका झूठ तेरी बेवफ़ाई
समझता है मेरा दिल भी कोई बच्चा नहीं है
तेरा हँसना तो देखा है सभी ने खूब ‘सूरज’
मगर तनहाई में रोता हुआ देखा नहीं है
डॉ सूर्या बाली ‘सूरज’