उड़ने लगे गुलाल तो समझो होली है।
फागुन करे धमाल तो समझो होली है॥
काले गोरे में कोई भेद न रह जाये,
सतरंगी हो हाल तो समझो होली है॥
बजने लगे मृदंग ढ़ोल जब नाचे सब,
देकर के करताल तो समझो होली है॥
मौसम के संग भांग अगर सर चढ़ जाये,
सम्हले न जब चाल तो समझो होली है॥
चलते फिरते राह कोई अंजाना भी,
तुझपे दे रंग डाल तो समझो होली है॥
दुश्मन को भी गले लगा ले जब बढ़के,
दिल के मिटें मलाल तो समझो होली है॥
रंगों की बौछार अबीरों के छींटे,
तन मन कर दें लाल तो समझो होली है॥
मन के गहरे सागर में जब भी लहरें,
लेने लगें उछाल तो समझो होली है॥
हर नुक्कड़ चौराहे पे जब पी करके,
बुड्ढे करें बवाल तो समझो होली है॥
नफ़रत मिटे मोहब्बत फैले जब “सूरज”
दुनिया हो खुशहाल तो समझो होली है॥
डॉ॰ सूर्या बाली “सूरज”