इश्क़ में हमने दिवानों की वफ़ा देखी है।
प्यार करने की निभाने की सज़ा देखी है॥
मयकदे जाने को दिल करता ही नहीं मेरा,
जब से मैंने तेरी आँखों की अदा देखी है॥
मौत से तुमने बचाया है कई बार मुझे,
ऐ मसीहा तेरे हाथों की शिफा1 देखी है॥
कौन कहता है के दुश्मन ही दग़ा देते हैं,
हमने अपनों के भी आँखों में जफा2 देखी है॥
वो गुनाहों से अभी करने लगा है तौबा,
सामने जब से खड़ी उसने क़ज़ा3 देखी है॥
देखकर उसको मुझे ऐसा लगा है “सूरज”,
जैसे गुलशन ने कोई बादे-सबा5 देखी है॥
डॉ॰ सूर्या बाली “सूरज”
1. शिफा= इलाज़, आरोग्य 2. जफा = अन्याय और अत्याचारपूर्ण ब्यवहार 3. क़ज़ा= मौत
4. सदा= आवाज़ 5. बादे-सबा= सुबह की खुशबूदार हवा