ज़िंदगी जब उदास होती है।
तुझसे मिलने की आस होती है॥
चैन खोता है दिल धड़कता है,
और उलझन मे सांस होती है॥
हमको लगता है जाने क्यूँ ऐसा,
तू मेरे आस पास होती है ॥
कहने को तो खड़ा हूँ दरिया में,
फिर भी होठों पे प्यास होती है॥
दिल ये मगमूम* बहुत होता है,
जब कभी तू उदास होती है॥
हर अदा पर ये जां निकलती है,
हर अदा तेरी खास होती है॥
डोर रिश्तों कि तोड़ मत “सूरज”,
टूटने पर खटास होती है ॥
डॉ॰सूर्या बाली “सूरज”
*मगमूम=दुखी, संतप्त