क़ज़ा1 तू फिर कभी आना अभी कुछ काम बाक़ी है॥
हमें पीने दे फुर्सत से अभी ये जाम बाक़ी है॥
कभी ना ला सका होठों पे दिल की बात मैं अपने,
मोहब्बत का अभी इज़हार2 औ पैग़ाम3 बाक़ी है॥
अधूरे ख़्वाब4 जीवन के, अधूरा है सफर अब भी,
अभी हासिल नहीं मंज़िल, अभी अंजाम5 बाक़ी है॥
पुकारा बेवफ़ा, बेशर्म, हरजाई, सितमगर भी,
अभी फिर भी वो कहता है, कोई इल्ज़ाम6 बाक़ी है॥
ये दिल कहता कि आएगा वो फिर इकदिन यहीं “सूरज”,
उसी कि इंतज़ारी मे सुहानी शाम बाक़ी है॥
डॉ॰सूर्या बाली “सूरज”
1.क़ज़ा=मौत 2. इज़हार=व्यक्त करना 3. पैग़ाम= संदेश
4. ख़्वाब =स्वप्न 5. अंजाम= परिणाम 6. इल्ज़ाम=आरोप