हासिल हुआ तू मुझको बहुत ढूँढ़ने के बाद॥
अब साथ तेरा छूटेगा दम1 टूटने के बाद॥
ले आया वक़्त जाने मुझे कैसे मोड़ पे,
दो गाम2 चल न पाया साथ छूटने के बाद॥
एहसान भी किया मेरे दुश्मन इस तरह,
आया वो घर बुझाने मेरा फूंकने के बाद॥
अब उसकी बेवफ़ाई के बारे के क्या कहूँ,
रहते नहीं परिंदे शज़र3 सूखने के बाद॥
करता रहा तमाम उम्र जिसका इंतज़ार,
वो लौट के न आया कभी रूठने के बाद॥
ऐ राहजन4 सुना दे मुझे अपना फैसला,
किस किस को लूटना है मुझे लूटने के बाद॥
क्यूँ डर रहा है रात कि तारीकियों5 से तू,
“सूरज” सहर6 भी होगी तेरे डूबने के बाद॥
डॉ॰ सूर्या बाली “सूरज”
1. दम = सांस 2. गाम= कदम 3. शज़र = पेड़
4. राहजन= लुटेरा 5. तारीकियों= अँधेरों 6. सहर= सुबह