हर वक़्त मेरे दिल के उजालों में रहोगे
होके भी जुदा आप ख़यालों में रहोगे
चाहत को भुलाना मिरी आसान न होगा
माना के बहुत चाहने वालों में रहोगे
अब शेर ग़ज़ल नज़्म रुबाई की तरह तुम
हर वक़्त मुहब्बत के रिसालों में रहोगे
ले ले के मेरा नाम तुम्हें छेड़ेगी दुनिया
हर रोज़ ज़माने के सवालों में रहोगे
रानाई है जलवा है तिरा हुस्न है जब तक
तुम हुस्न की दुनिया के मिसालों में रहोगे
ताज़ा है अभी ज़ख्म भुला पाना है मुश्किल
मेहमान थे कुछ दिन तो ख़यालों में रहोगे
‘सूरज’ की कमी का तुम्हें एहसास न होगा
चाहत के चिरागों के उजालों में रहोगे
डॉ सूर्या बाली ‘सूरज’
रिसाला= मैगज़ीन, मिसाल= उदाहरण, रानाई= सुंदरता, छटा