दिन प्रतिदिन की स्वच्छता कितनी है अनमोल।
सुख, समृद्ध, विकास की देती रहें खोल ।।
अगर स्वच्छता पास रही तो रोग नहीं आएंगे।
तन निरोग, सुंदर होगा,जीवन खुशहाल बनाएँगे॥
साफ सफाई को यदि हम जीवन में अपनाएँगे।
कितना बड़ा बना देती है तभी समझ हम पाएंगे॥
वस्त्रों को रखें सदा स्वच्छ और रोज़ नहाएँ।
हाथों पैरों के कोई नाखून नहीं बढ्ने पाये॥
रोज़ शौच के बाद हाथ साबुन से धोएँ।
खाना खाने के उपरांत, ब्रश करके सोएँ॥
थोड़ी सी यह साफ सफाई ज़्यादा काम करेगी।
बचत करेगी पैसे की, डॉक्टर से दूर रखेगी॥
घर आँगन को स्वच्छ रखें, गंदगी हटाएँ।
वातावरण बनाएँ ऐसा, जो सबको ही भाये॥
तुरंत बनाएँ, ताज़ा खाएं, बासी न बचने पाये।
न हो भोजन की बर्बादी, न ही कोई रोग सताये॥
(पूरी रचना मेडिकल कवितायें सेक्शन मे पढ़ी जा सकती है)
डॉ॰ सूर्या बाली "सूरज"