किसी से प्यार उसको भी जो हो जाता मज़ा आता॥
मोहब्बत मे कोई उसको भी तड़पाता मज़ा आता॥
समा भी खूबसूरत है, बड़ी मुद्दत से प्यासा हूँ,
अगर इक जाम साक़ी प्यार से लाता मज़ा आता॥
वो बादल बन के आया था हमारी ज़िंदगानी में,
अगर खुलके मिरी छत पे बरस जाता मज़ा आता॥
गुज़ारी तुमने काफी उम्र अपनी बेवफ़ाओं में,
वफ़ादारों से गर तू जोड़ता नाता मज़ा आता॥
इशारे ही इशारे मे वो दिल की बात कहता है,
कभी मेरे इशारे भी समझ पाता मज़ा आता॥
सुहानी शाम है दिलकश फिज़ा रंगीन मौसम है,
अगर वो आज फिर कोई ग़ज़ल गाता मज़ा आता॥
ज़माने की अदावत का सबब है दोस्ती अपनी,
हमारा प्यार उनको भी अगर भाता मज़ा आता॥
ख़ुदा मिलता नहीं है बंदगी से मान ले “सूरज”
अगर तू बनके आशिक़ जोड़ता नाता मज़ा आता॥
डॉ॰ सूर्या बाली “सूरज”