देख ले मालिक बंदे तेरे, बिलकुल न शर्माते हैं।
तूने सारी दुनिया बनाई, तेरे लिए घर बनवाते हैं।
तेरे नाम पे लूट रहे हैं, देखो पंडा-मुल्ला,
बना रहे लोगों को उल्लू, कैसे खुल्लम खुल्ला !
दिल में नहीं रख पाते तुझको, मंदिर मस्जिद बनवाते हैं।
तूने सारी दुनिया बनाई ......
तेरे नाम पे लेते चढ़ावा, पेट ये भरते अपना,
तस्वी-माला ले करके बस काम है इनका ठगना!
इक दूजे के ख़ून के प्यासे, आपस मे लड़ जाते हैं।
तूने सारी दुनिया बनाई ......
इनके दिल मे प्रेम नहीं है, ना ही भाईचारा,
मज़हब का देते रहते हैं रोज़ नया ये नारा।
भटके हुए है ख़ुद लेकिन औरों को राह दिखाते हैं।
तूने सारी दुनिया बनाई ......
हर दिल मे नफ़रत फैला दी, प्यार कहाँ से लाएँ,
बोये पेड़ बबूल के हैं तो, आम कहाँ से पाएँ।
ख़ुद अपने ही घर मे, पागल होकर आग लगाते हैं।
तूने सारी दुनिया बनाई ......
घंटा बजाएँ ज़ोर ज़ोर से, भूँपू में चिल्लाएँ,
बहरा नहीं है तू लेकिन इनकी समझ न आए।
इनका पागलपन देखो, “सूरज” को दीप दिखाते हैं।
तूने सारी दुनिया बनाई, तेरे लिए घर बनवाते हैं।
डॉ॰ सूर्या बाली “सूरज”