तू मुझसे दूर भी रहकर कभी जुदा न लगे॥
बुरा है लाख मगर दिल को तू बुरा न लगे॥
सलामती की तेरे रब से दुआ करते हैं,
तुझे बिगड़ते हुए शहर की हवा न लगे॥
जहां भी जाये तुझे खुशियाँ बेशुमार मिले,
कभी किसी की तुझे कोई बददुआ न लगे॥
करीब दिल के ज़रा लौट के फिर आ जाओ,
तेरे बगैर मुझे और कुछ भला न लगे॥
दिमाग कहता है तुझको भला बुरा लेकिन,
मगर तू दिल को कभी मेरे बेवफ़ा न लगे॥
जो प्यार करता है सच झूठ जान जाता है,
भले ज़माने को तेरी ख़बर पता न लगे॥
कभी भी दिल के क़रीब उसको न लाना “सूरज”,
तुम्हारे दिल की कसौटी पे जो खरा न लगे॥
डॉ॰ सूर्या बाली “सूरज”