बहुत दिनों से मेरा दिल उदास रहता है॥
अजीब खौफ़1 है जो आसपास रहता है॥
ये बात और है न मिल सकी मुझे पारो,
मगर उचाट2 दिल में देवदास रहता है॥
बड़ों बड़ों के होश जो कभी उड़ाता था,
वो शख़्स आज बहुत बदहवास रहता है॥
वही जदीद3 लड़कियां हैं आजकल यारों,
बदन पे जिनके बहुत कम लिबास4 रहता है॥
जो शेख़ कह रहा सबसे, गुनाह है पीना,
उसी के हाथ में मय का गिलास रहता है॥
कोई यकीन उसके बात पर नहीं करता,
हर इक इल्ज़ाम जिसका बेअसास5 रहता है॥
वो कौन है जो दिल पे मेरे छा गया “सूरज”,
जो अज़नबी है मगर फिर भी ख़ास रहता है॥
डॉ॰ सूर्या बाली “सूरज”
1. खौफ़ = डर, भय 2. उचाट = टूटा हुआ, बेचैन 3. जदीद = आधुनिक, मॉडर्न
4. लिबास = कपड़े, वस्त्र 5. बे असास = आधारहीन , बेबुनियाद