इतना चाहा था तो मगरूर उसे होना था।
दिल दुखा के यूं मेरा दूर उसे होना था॥
संग1 के शहर में ख़्वाबों का बना शीशमहल,
ना सही आज तो कल चूर उसे होना था॥
अब तो उस दर्द का एहसास भी नहीं होता,
बढ़ गया हद से तो काफ़ूर2 उसे होना था॥
ज़ख्म-ए-फ़ुरकत3 को तेरी याद ने भरने न दिया,
वक़्त के साथ तो नासूर4 उसे होना था॥
नाम ले ले के मेरा उसने उछाला कीचड़,
इस तरीक़े से ही मशहूर उसे होना था॥
शाम के साये5 के मानिंद6 मेरी दुनिया से,
रफ़्ता रफ़्ता ही सही दूर उसे होना था॥
चाँद बेशक़ था वो, रौनक़ थी मगर “सूरज” से,
यूं जुदा होके तो बेनूर7 उसे होना था॥
डॉ॰ सूर्या बाली “सूरज”
1. पत्थर 2. ग़ायब होना, उड़ जाना 3. वियोग का घाव
4. न भरने वाला घाव 5. परछाई 6. तरह 7. क्रांतिहीन