किसी ने पूछा:
दहेज अभिशाप है या वरदान?
थोड़ा सा सोचा समझा, फिर बोला-
इसमे मिलता है दान, इसलिए हो सकता है वरदान।
उन्होने झट कहा नहीं भाई ऐसा नहीं ,
दहेज अभिशाप है, वरदान नहीं॥
तुरंत ध्यान आया, ये तो दहेज मे बड़े आगे थे,
अपने ही लड़के की शादी मे,
कैश, कार और कलर टीवी मांगे थे।
जो चिल्लाते हैं दहेज लेना पाप है,
यदि वही सम्हल जाएँ।
तो शायद दहेज उन्मूलन आसानी से हो जाये।
यह एक सामाजिक बुराई है।
इस पे सरकारी नियम काम नहीं करेंगे।
यह हमारा कर्तव्य है-इसे हम दूर करेंगे।
सावधान युवकों !
यह एक सभ्य समाज बनाने की चुनौती है।
जलती महिलाओं को बचाने की चुनौती है।
अगर अभिशाप के कलंक को मिटाना है।
दहेज को सचमुच वरदान बनाना है।
तो बिना दहेज की ही दुल्हन घर मे लाना है!!
डॉ॰ सूर्या बाली “सूरज”