किसी से दिल लगा के देखिये क्या होता है !
फ़ासलों को मिटा के देखिये क्या होता है।
आपको सारा जहां अपना नज़र आएगा,
दिल से नफ़रत हटा के देखिये क्या होता है।
कितना आराम और सुकून मिलेगा दिल को,
जरा सा मुस्करा के देखिये क्या होता है।
ऐसी मंज़िल नहीं कोई जो कदम न चूमे,
हौसला तो बढा के देखिये क्या होता है।
लोग पागल के सिवा कुछ न कहेंगे “सूरज”,
घर को अपने जला के देखिये क्या होता है॥
डॉ॰ सूर्या बाली “सूरज”