कभी हँसने नहीं देती कभी रोने नही देती॥
मुझे क्यूँ ज़िंदगी दो पल भी ख़ुश होने नही देती॥
हजारों बार ये सोचा के मैं ख़ुद को फ़ना कर लूँ,
मगर तेरी मोहब्बत ज़िंदगी खोने नही देती॥
सुना है ज़िंदगी को मौत से बदतर बनाती है,
किसी की बेवफ़ाई चैन से सोने नही देती॥
सजोये रखती है हरपल तुम्हारे प्यार की दौलत,
मेरे दिल की तिजोरी प्यार को खोने नही देती॥
मेरी सोहबत उगाती हैं हमेशा प्यार की फसलें,
किसी को बीज़ नफ़रत के कभी बोने नहीं देती॥
उठाए रहती है सब कुछ ही अपने सर पे मेरी माँ,
मेरे हिस्से का बोझा भी मुझे ढोने नहीं देती॥
मिटा डालो सुबूतों को भले हिकमत से तुम “सूरज”,
मगर तारीख़ ऐसे दाग़ को धोने नही देती॥
डॉ॰ सूर्या बाली “सूरज”