क़ता
जब उनसे हमारी मुलाक़ात होगी,
जुबां चुप रहेगी मगर बात होगी।
ये आँखें ही दिल की कहानी कहेंगी,
जब पलकों से अश्कों की बरसात होगी॥
ग़ज़ल
आओ कुछ दूर चलें, साथ हमसफर बनके।
जी लें दो पल ही सही, दोनों दिल जिगर बनके।
सब-ए-फ़िराक से घबरा रहा है दिल मेरा,
न करो देर, चले आओ तुम सहर बनके।
जब चले जाओगे तुम दूर, छोड़ के मुझको,
ग़म जुदाई का मुझपे टूटेगा कहर बनके।
दिल की दरिया मे तूफान मचाने के लिए,
आयेंगे यादों के लश्कर तेरे, लहर बनके।
ये मुहब्बत न जमाने को रास आई मेरी,
डस लिए प्यार को मेरे, बुरी नज़र बनके।
-डॉ॰ सूर्या बाली “सूरज”