रोग तो अनेक प्रकार के हैं मानव में,
उनमे से एड्स की समस्या विकराल है।
सुलझी न गुत्थी इस रोग के इलाज़ की,
डॉक्टर और वैद्य सब इससे बेहाल हैं।।
एक्वायर्ड इम्मुनो डिफीसियंसी सिंड्रोम नाम,
आरएनए विषाणुजनित रोग की मिशाल है।
एचआईवी विषाणु पैदा करता है एड्स को,
रोक सके कौन इसे किसकी मजाल है।।
दूध, लार, मेरुद्रव्य में निवास करता है,
रक्त, वीर्य, योनिरस में तो मालामाल है।
करे मित्रता ये सीडी-4 रक्त कणिका से,
पंगु प्रतिरक्षा करे ऐसी इसकी चाल है।।
जब घट जाए प्रतिरोधक शक्ति तन की तो,
कोई भी रोग कर सके बुरा हाल है।
कहने को हमने तो चांद को भी जीत लिया,
खोजे कैसे एड्स का इलाज़ ये सवाल है?
स्त्री, पुरुष, वर्ग, जाति-धर्म कोई हो,
करता न भेद भाव यही तो कमाल है।
सभी सूई, वैक्सीन, टबलेट बेकार हुए,
कोई भी दावा न तोड़ सकी इसका जाल है।।
जांच करवा के ही खून चढ़वाइएगा,
लगे नई सुई सिरिंज रखना ख्याल है।
किसी अंजाने से संबंध जो बनाइये तो,
उम्दा निरोध का ही करना इस्तेमाल है।।
रोग लाईलाज न तो टीका न दवाई है,
करिए बचाव एकमात्र यही ढाल है।
रोग लाईलाज न तो टीका न दवाई है,
करिए बचाव एकमात्र यही ढाल है॥
डॉ॰ सूर्या बाली "सूरज"